तेरा मेरा सफ़र - 17

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सुबह की हल्की धूप परदे से झाँक रही थी। होटल के कॉरिडोर में वही रोज़ की रौनक थी, पर आज कियारा को हर चीज़ अलग लग रही थी — जैसे सबकुछ वैसा ही था, मगर उसका दिल बदल गया था।वो कॉफ़ी मशीन के सामने खड़ी थी, पर उसकी सोच अब भी पिछली रात में अटकी हुई थी — “मुझे नहीं पता ये क्या है… लेकिन तुम्हारे बिना अब ये जगह अधूरी लगती है।”उस एक लफ़्ज़ ने उसकी दुनिया बदल दी थी।कॉफ़ी का कप हाथ में लिए वो लॉबी की खिड़की के पास चली गई। बाहर बारिश के कुछ बूँदें अब