तेरा मेरा सफ़र - 15

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अगली सुबह होटल की बालकनी पर धूप हल्की थी, पर कियारा के भीतर कुछ अनजाना उजाला था।वो चाहकर भी उस terrace वाले पल को भुला नहीं पा रही थी — अयान की वो बातें, वो नज़रे, जो जैसे कुछ कह रही थीं और फिर भी चुप थीं।काम के बीच वो बार-बार वही ख्याल पकड़ लेती — “क्या सच में उन्होंने भी कुछ महसूस किया था? या मैंने ही ज़्यादा सोचा?”हर बार जब अयान उसके पास आते, उसकी नब्ज़ जैसे रुक जाती।उस दिन दोपहर को hotel management team का outdoor lunch था।हवा में हँसी थी, पर दोनों की आँखों में वही