मेरा नाम रशीद है। सब मुझे शीदा दर्जी कहते थे। मैं एक गांव में रहता था और मेरा अपना काम ठीक चल रहा था। लेकिन जिंदगी में कभी-कभी ऐसा वक्त आ जाता है कि इंसान को वो जगह भी छोड़नी पड़ती है जहां उसने सालों गुजारे होते हैं। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। एक दिन गांव के एक बासर शख्स से मेरी किसी बात पर तल्ख कलामी हो गई। और उसके बाद वो मेरे दुश्मनों में शामिल हो गया। उसने मेरे खिलाफ माहौल बनाना शुरू किया। मेरे ग्राहकों को मेरे खिलाफ करना शुरू किया और आहिस्ता-आहिस्ता मेरी दुकान