The Risky Love - 26

कांकली जंगल में विवेक अब आगे.............विवेक के इस सवाल पर सुहानी मुस्कुराते हुए कहती हैं...." हम छलावी कन्या है , , हमारा रुप कभी नहीं मुरझाता , , हम इस मायावी नगरी की अप्सराएं है , , हमारा कर्तव्य मनुष्य को भ्रमित करना है , , जैसे हमने तुम्हें करना चाहा , किंतु तुम्हारे प्रेम के आगे हमारी शक्तियां कम पड़ गई ,  , तुम हमारी परिक्षा में सफल हुए हो इसलिए ये  जाओ , अपने गंतव्य पथ पर....विवेक उसकी बात सुनकर वहां से चला जाता है....इधर चेताक्क्षी यज्ञ कुंड के पास बैठी उस लाल पोटली को खोलकर मिट्टी को चौकोर