... विवेक , मुझे बचाओ...."आखिर में इतना कहकर अदिति की आंखें बंद हो चुकी थी....अब आगे...........इधर अदिति अपनी आंखें बंद कर चुकी थी उधर विवेक को मानो जैसे लम्बे समय के बाद होश आया हो , अचानक चौंकते हुए चिल्लाता है....." अदिति , , मैं तुम्हें बचाऊंगा..."विवेक हैरानी से चारों तरफ देखते हुए अपने सामने खड़ी सुहानी को देखकर गुस्से में कहता है...." तुम मुझे यहां क्यूं लाई हो....?...." विवेक जल्दी से अपने सप्त शीर्ष तारा को निकालकर देखता है जिसमें अब केवल दो ही शीर्ष चमक रहे थे , , विवेक उसे घूरते हुए कहता है....." तुम्हारी वजह से मेरा