छुपा हुआ इश्क - एपिसोड 8

छुपा हुआ इश्क़ — एपिसोड 8शीर्षक: आत्मा का पुनर्लेख(जब किसी अधूरी कहानी को खुद समय पूरा करता है)1. आरंभ — प्रकाश के बाद की शांतिमंदिर की घंटियाँ गूँजने के बाद सबकुछ मौन हो गया था।नीला द्वार, जो क्षण भर पहले चमक से भरा था, अब राख-सा ठंडा पड़ा था।गंगा तट की हवा में धूप और पानी की मिली-जुली गंध थी।सुरभि धीरे-धीरे आँखें खोलती है।वह मंदिर के भीतर है, पर सब कुछ नया लगता है—दीवारें ताजगी से दमक रही हैं, जमीन पर कहीं भी पुरानी दरारें नहीं।“क्या मैं सपना देख रही हूँ?” उसने बुदबुदाया।पास से आवाज़ आई, “सपने अक्सर वे