एपिसोड 40 — “वक़्त की सरगम” (कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है) --- 1. हवेली का शांत संगीत दरभंगा की हवेली में आज अजीब-सी शांति थी। न नीली धुंध, न कोई गूँज — बस हवा में हल्की-सी खुशबू थी, जैसे किसी पुराने इश्क़ की परतें फिर से खुल रही हों। रूहाना ने बरामदे से आसमान की ओर देखा। तारे अब नीले नहीं, सुनहरे थे। उसने धीमे से कहा, “अर्जुन… लगता है हवेली अब हमें विदा कर रही है।” अर्जुन उसके पास आया, “शायद इश्क़ पूरा हो चुका है, रूहाना। अब बस