रात का सन्नाटा अस्पताल की गलियों में फैला हुआ था।Anaya balcony पर खड़ी थी — हाथों में कॉफी का कप और आँखों में Raj की परछाईं।वो बार-बार उसी शाम को याद कर रही थी… terrace पर, Raj की वो खामोश निगाहें, वो अधूरी बात, जो कही तो नहीं गई, लेकिन महसूस ज़रूर हुई।“क्यों वो बात अधूरी रह गई?” उसने खुद से पूछा।दिल ने जवाब दिया — “क्योंकि कभी-कभी खामोशी भी इज़हार होती है।”अगले दिन Raj rounds पर था। सामने वही patients, वही files… पर आज उसकी नज़रें बार-बार उसी जगह चली जातीं, जहाँ Anaya खड़ी होती।वो कुछ कह नहीं पा रहा