ख़ज़ाने का नक्शा - अध्याय 4

अध्याय 4: “रेत के नीचे की रहस्यमयी सुरंग”(जहाँ ख़ामोशी भी इशारे देने लगती है...)रेत की लहरों में गिरते हुए रैयान और ज़ेहरा को ऐसा लगा जैसे ज़मीन ने उन्हें निगल लिया हो। चारों तरफ़ अंधेरा था, हवा में धूल और पुराने पत्थरों की गंध। कहीं दूर पानी टपकने की धीमी आवाज़ गूंज रही थी।ज़ेहरा ने काँपते हाथों से टॉर्च जलाई — सामने पत्थर की दीवारें थीं जिन पर उर्दू और अरबी लिपि में कुछ उकेरा गया था। रैयान ने नज़दीक जाकर देखा —“सब्र से पहले इल्म, और इल्म से पहले इरादा।”नीचे एक निशान — वही पुराना ︎ चिन्ह। रहस्यमयी रास्तासुरंग