रेलवे स्टेशन पर शाम का वक्त था।प्लेटफॉर्म पर चाय की ख़ुशबू, announcements की आवाज़ें और भागते हुए लोगों की भीड़ —सब कुछ हमेशा जैसा था, लेकिन आरव के लिए नहीं।वो आज किसी और ही सोच में था, जैसे किसी पुराने वादे की ओर बढ़ रहा हो।ट्रेन में अपनी सीट पर बैठकर उसने खिड़की से बाहर देखा।बारिश की हल्की बूँदें शीशे पर गिर रही थीं, और वो अपने पुराने headphones में धीमे गाने सुन रहा था।कभी-कभी खामोशियाँ भी गानों से ज़्यादा कुछ कह जाती हैं।उसी वक्त किसी ने हल्की आवाज़ में पूछा —“Excuse me, ये सीट खाली है?”आरव ने सिर उठाया,