एपिसोड 35 — “इश्क़ की स्याही से लिखा वादा” (कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है) --- 1. हवेली की दीवारों में नई साँसें दरभंगा की हवेली अब पहले जैसी नहीं रही थी। जहाँ कभी सन्नाटा पसरा था, अब वहाँ हर सुबह कोई नया एहसास जागता था। बरामदे की दीवारों पर नीली लकीरें चमक उठतीं, और हर शाम सुनहरी धूप दीवारों से फिसलकर भीतर चली आती — जैसे हवेली खुद कह रही हो, “अब मैं अधूरी नहीं रही।” अर्जुन खिड़की के पास बैठा था, रूहाना उसके सामने, अपनी नई डायरी में कुछ