एपिसोड 34 — “मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है” --- 1. रौशनी के बाद की खामोशी दरभंगा की हवेली में रात उतर आई थी, पर यह रात बाकी रातों जैसी नहीं थी — यह सुकून में डूबी, रूहों की साँसों से महकती रात थी। दीवारों पर अब कोई परछाईं नहीं, बस सुनहरी लकीरों में घुली नीली चमक थी। अर्जुन बरामदे में बैठा था। उसके सामने वही पेंटिंग थी — पर अब उसमें रुमी और रूहान दोनों मुस्कुरा रहे थे, और उनके बीच अर्जुन की परछाई ठहर गई थी। > “अब