अधुरी खिताब - 34

एपिसोड 34 — “हवेली की खामोश पुकार”---1. लाल गंध की दहलीज़दरभंगा स्टेशन पर धुंध अब तक छँटी नहीं थी।सुबह के पाँच बजे, प्लेटफ़ॉर्म पर बस कुछ परछाइयाँ हिल रही थीं।एक आदमी उतरा — कैमरा उसके गले में, बैग में नोटबुक और रिकॉर्डर।नाम था — अंशुमान शुक्ला,दिल्ली का पत्रकार।उसके चेहरे पर नींद की परत थी,पर आँखों में एक अलग-सी बेचैनी —जैसे कोई उसे यहाँ खींच लाया हो।टैक्सी में बैठते ही उसने ड्राइवर से पूछा —“दरभंगा के पुराने हिस्से में... वो हवेली है न, जहाँ कोई नहीं रहता?”ड्राइवर ने हड़बड़ा कर शीशा ठीक किया,“बाबू, उ हवेली में तो अब कौनो नहीं