चिट्ठी के साये में

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चिट्ठी के साये में️ लेखिका: नैना ख़ान© 2025 Naina Khan. सर्वाधिकार सुरक्षित। इस कहानी “चिट्ठी के साये में” का कोई भी अंश लेखिका की अनुमति के बिना पुनर्प्रकाशित, कॉपी या वितरित नहीं किया जा सकता।भाग 1: पहली नज़र का वादासन 1960 का वह साल था — जब गाँव की गलियाँ अब भी मिट्टी से सजी थीं, और दिलों की राहें ख्वाबों से बनी थीं। श्यामा, मास्टर रामनिवास की इकलौती बेटी — आँखों में सादगी, आवाज़ में मिठास, और स्वभाव में कोमलता। विनोद, तहसील कार्यालय में नया-नया क्लर्क बना था — शहर से आया, पर गाँव की मिट्टी की खुशबू