संगीता एक सरकारी दफ्तर में टाइपिस्ट थी।आदतन वह ऑफिस में रोज लेट आती परन्तु क्या मजाल है बॉस उसे फटकार लगाए उल्टा वह बॉस को ही कभी-कभी अनाप- शनाप बोल देती।बॉस बेचारा उसके सुंदर दूधिया रंग मुखड़े और सुडौल काया पर फिदा था इसलिए कुछ बोल नहीं पाता था,वह जब दिल करता काम करती। नहीं तो,ऑफिस के बहुमंजिले इमारत की छत पर जाकर रील बनाती,फिर भी वह अपने काम के प्रति कभी लापरवाह नहीं थी।रोज रंग बिरंगे आउटफिट में ऑफिस आती और आते ही अपने नाजुक अंगुलियों से कीपैड पर सुरीली खट-खट की राग छेड़ देती जब उसके हाथों की अंगुलियां