भाग 2 | अध्याय 6 बाबुल हक़ अंसारी “तहख़ाने की चीख़”पिछले अध्याय से…“अगर सच्चाई तक पहुँचना है, तो हवेली के तहख़ाने में उतरना होगा।वहीं मिलेगा तुम्हें उस शख़्स का नाम… जिसने मोहब्बत को ग़द्दारी बना दिया।”रात की हवा भारी थी। हवेली की दीवारों पर लगी पुरानी पेंटिंग्स जैसे किसी अनकहे डर में सिमट रही थीं।नायरा ने टॉर्च जलाते हुए तहख़ाने के जंग लगे दरवाज़े को खोला — चर्रर्रर्र...उस आवाज़ ने सन्नाटा चीर दिया।युवराज ने