एपिसोड 33 — “रूहों की अगली दस्तक” 1. हवेली की नई सुबह दरभंगा की हवेली आज अलग लग रही थी। जहाँ कल तक नीली रौशनी रिसती थी, वहाँ आज सुनहरी धूप झर रही थी। फूलों की खुशबू पूरे आँगन में बिखरी थी — जैसे किसी ने रात भर हवेली को सजाया हो। अर्जुन बरामदे में बैठा था, सामने वही पेंटिंग लटक रही थी — अब उसमें रुमी और अर्जुन के बीच सुनहरी रोशनी नहीं, बल्कि एक तीसरा साया उभरने लगा था… धुंधला, मगर ज़िंदा। अर्जुन के होंठ हिले — > “रुमी…