फिल्म रिव्यू - अंदर बाहर

अंदर बाहर (१९८४) — अपराध और कर्तव्य के बीच पनपी मित्रता की अनोखी कथा१९८० के दशक की हिन्दी फिल्मों में यदि कोई फिल्म अपराध, रोमांच और मानव संबंधों की उलझनों को संतुलित रूप में प्रस्तुत करने में सफल रही हो, तो “अंदर बाहर” निश्चित रूप से उनमें से एक है। इस फिल्म में एक अपराधी और एक पुलिस अधिकारी के बीच की मजबूरी में जन्मी साझेदारी, समय के साथ एक गहरी मित्रता में परिवर्तित होती है, जो केवल अपराध की दुनिया की कथा नहीं, बल्कि एक मनुष्य के परिवर्तन की यात्रा है।फिल्म का निर्देशन रवि टंडन ने किया है, जिनकी