वो जब तक बाहर बैठा आसमान को निहारता रहा ।आसमान के चमकते ये सितारों में ,वह एक चेहरा खोजता रहा मानो वो चेहरा उसे जीने का मकसद दे रहा हो ।तभी डॉक्टर विजय बाहर आए और कार्तिक के पास जाकर।उसका कांधा थपथपाया" बच्चे उसे होश आ गया है ,अब वो खतरे से बाहर है।कुछ देर ........ ख़ामोशी छाई रही दोनों में से कोई नहीं बोलातभी खामोशी को तोड़ते हुए डॉक्टर बोले...कार्तिक अब तुम्हे लोट जाना चाहिए।उन दरिंदो के जागने से पहले कैम्पस लौट जाओ।कार्तिक उसे कुछ पल के लिए देखता हैमानो उससे कुछ कहना चाहता हो पर उसे शब्द ही नहीं मिल रहे