Dil ka Kirayedar - Part 5

कुछ हादसे शरीर तोड़ते हैं, पर असल में वो आत्मा को चीर जाते हैं।”)सुबह का वक्त था।स्कूल की घंटी बज चुकी थी,पर आर्यन की बेंच आज खाली थी।विवेक ने सोचा, शायद बीमार होगा।लेकिन जब लगातार तीन दिन बीत गए,और आर्यन स्कूल नहीं आया,तो उसे बेचैनी होने लगी।वो बच्चा कभी बिन बताए छुट्टी नहीं करता था।और अब — कोई खबर नहीं।चौथे दिन, छुट्टी के बाद,विवेक सीधा उनके घर चला गया।वो वही पुराना रास्ता था, वही मोड़, वही घर —बस दरवाज़ा बंद था।पास के पड़ोसी ने दरवाज़े से झाँककर कहा,“अरे सर… आप आरतीजी को ढूंढ रहे हैं?”विवेक ने सिर हिलाया — “हाँ,