पिचाश

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रात का आसमान तारों से भरा था, लेकिन उनमें से कोई भी उस वीरान घाटी की काली सन्नाटी को चीर नहीं पा रहा था। वो जगह “कृष्णगढ़” कहलाती थी — एक पुराना किला, जो सदियों से वीरान पड़ा था। कोई वहाँ नहीं जाता था। कहा जाता था कि वहाँ एक “पिशाच” रहता है — जिसे कभी मौत नहीं मिली, और जिसने अपनी आत्मा किसी अधूरी मोहब्बत में कैद कर रखी थी।गाँव के लोग उस किले के पास तक नहीं जाते थे, लेकिन हर अमावस की रात वहाँ से बाँसुरी की आवाज़ आती थी — उदासी से भरी, दर्द से लथपथ।