Title: “अनकही बातें लेखक: विजय शर्मा एरी---सुबह की धूप खिड़की से छनकर कमरे में फैली हुई थी। हवा में पुरानी किताबों की खुशबू थी और मेज़ पर फैले काग़ज़ों में एक अधूरी चिट्ठी रखी थी—बिना पते की।काग़ज़ का रंग पीला पड़ चुका था, शायद सालों से किसी इंतज़ार में होगी।१. एक पुराना संदूकराधा अपने पुराने पुश्तैनी घर को बेचने से पहले सफ़ाई कर रही थी। बरामदे में रखे एक संदूक को खोलते ही उसे पुराने पत्र, तस्वीरें, और कुछ रिबन बंधे ख़तों का गट्ठर मिला। हर ख़त किसी रिश्ते की कहानी कहता था।पर उस गट्ठर में एक पत्र ऐसा था, जिस