कभी-कभी सोचती हूँ, तुम्हारे जाने के बाद ज़िंदगी इतनी खामोश क्यों हो गई है?लोग तो अब भी वैसे ही हैं, दिन वैसे ही निकलता है,सूरज अब भी उगता है, पर रोशनी नहीं लगती।शायद इसलिए क्योंकि मेरी दुनिया अब अधूरी है — तुम्हारे बिना।तुम गए... बिना कुछ कहे,बिना ये बताए कि क्या मेरी मौजूदगी तुम्हारे लिए बोझ बन गई थी।एक पल में सब ख़त्म कर दिया तुमने,वो बातें, वो हँसी, वो पल — जो मेरे लिए ज़िंदगी थे।अब मेरे कमरे की हर चीज़ तुम्हारी याद दिलाती है।वो यादें जो तुमने मुझे दिया था, अब भी वहीं रखा है,हर सुबह उसे देखकर