शाम हो चुकी थी सूरज ढल चुका था अंधेरा धीरे धीरे अपनी अंधकार बिखेर रहा था वही काला भंडार इस अंधकार में और भी ज्यादा खौफनाक नज़र आ रहा था की देखने वाले की रूह कांप जाए लेकिन उस अंधकार में कोई बहुत खुशी से झूम रहा था। मुरीद गुप्त बार में झूमते हुए ड्रिंक पर ड्रिंक किए जा रहे थे पुरी तरह नशे मे चूर "बॉस ने पहली बार तारीफ की साथ में इनाम भी,,,आज तो दिन रात दोनो बन जाएगा" "क्यों बनेगा?" जंगली सर खुजाते हुए बोला।"भुलक्कड़ अभी सर ने कहा न बॉस ने तारीफ की इनाम दिया,,," "Ooh sorry' मैं