जीवन का विज्ञान - 2

आत्मा, मन और पंचतत्व — एक ही लय की तीन अवस्थाएँ शरीर पंचतत्वों का खेल है — पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश।ये जब असंतुलन में आते हैं, तो आकार लेते हैं — “मैं” का।और जब संतुलन में लौटते हैं, तो विलीन हो जाते हैं — “शून्य” में। इस पूरे खेल का केन्द्र आत्मा कहलाता है।पर यह आत्मा कोई स्थायी जीवात्मा नहीं — यह उन्हीं पाँच तत्वों का सूक्ष्म संकेंद्रण है,जैसे आँधी में बवंडर उठता है, वैसे ही पंचतत्वों की गति से चेतना का केंद्र बनता है।यह केंद्र ही “मैं” का अनुभव देता है — पर यह अलग अस्तित्व नहीं, तत्वों की