सुबह के पाँच बजे। आरती आँगन में झाड़ू लगा रही थी। ठंडी हवा के साथ उसकी साँसों में थकान भी मिल गई थी। माँ खाँस रही थीं और छोटा भाई अमित अभी तक बिस्तर में गोल होकर पड़ा था।आरती (तेज़ आवाज़ में): "अमित, उठो! स्कूल की घंटी तुम्हारा इंतज़ार नहीं करेगी।"अमित अनमने अंदाज़ में करवट बदलकर बोला, "दीदी, नींद आ रही है…"आरती ने गहरी साँस ली। वह जानती थी, ये नींद नहीं, पढ़ाई से भागने का बहाना है।माँ ने कमरे से आवाज़ लगाई— "बेटा, गुस्सा मत करो उस पर। थोड़ा कमजोर है पढ़ाई में।"आरती झुंझलाई लेकिन चुप रही। उसके मन