अगले दिन होटल में हल्की सी गहमागहमी थी — वही आवाज़ें, वही काम, पर दोनों के दिलों में कुछ नया था।कियारा ने कोशिश की कि खुद को सामान्य दिखाए, मगर हर बार जब अयान सामने आते, उसकी साँसें जैसे थम जातीं।उसे लगता था, उनकी हर नज़र अब कुछ कहती है — कुछ ऐसा जो लफ़्ज़ों से नहीं, एहसासों से महसूस होता है।कॉफी मशीन के पास खड़ी कियारा सोच रही थी, “क्या सच में वो भी कुछ महसूस करते हैं? या ये सिर्फ़ मेरा वहम है…”तभी पीछे से अयान की आवाज़ आई —“कॉफी… ब्लैक, बिना शुगर?”वो पलटकर मुस्कुराई, “आपको याद है?”अयान