अधूरा इश्क़ — हिस्सा 4

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अधूरा इश्क़ — हिस्सा 4आख़िरी अलविदालेखिका: नैना ख़ान“कभी-कभी इश्क़ अधूरा नहीं होता, बस वक्त पूरा नहीं होता…” रात के गहरे सन्नाटे में समा बालकनी में खड़ी थी। हवा में ठंडक थी, मगर उसके अंदर एक अजीब सी गर्मी — बेचैनी की, दर्द की, और शायद मोहब्बत की भी। फोन उसके हाथ में था, स्क्रीन बंद, मगर दिल में हजारों सवाल।तीन दिन हो गए थे — यूसुफ का कोई मैसेज नहीं आया था।समा के अंदर जैसे किसी ने दीवार खड़ी कर दी थी। वो चाहती थी सब खत्म हो जाए, मगर वो ये भी चाहती थी कि कुछ खत्म न