स्वयंवधू - 60

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60. सीने में खंजरकवच, सिर से पाँव तक भीगा हुआ राहुल से दो कदम पीछे चल रहा था।वह महसूस कर सकता था कि कई नज़रे उन पर थी।तीनों पर बेबुनियाद टिप्पणियाँ सुन सकते थे और जब वे मुड़ते,तब दूसरी ओर देखने लगते। तीन मिनट की दूरी तीस मिनट के समान थी।चलते-चलते राहुल दाई ओर मुड़कर रुका। कवच ने सिर उठाकर सामने देखा, वहाँ नर्स दिशा कान्हा को सांत्वना देते हुए उनका इंतजार कर रही थी।जब उसने उन्हें पहली बार देखा तो उसे राहत मिली लेकिन जैसे ही उसने वृषा बिजलनी को पीछे और वृषाली को राहुल के हाथ पर देखा