सोने का पिंजरा - 29

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सीन —“ सोने का पिंजरा” का असली रहस्यहॉल में एक गहरी चुप्पी छा जाती है. माही की आवाज अब और भी धीमी, लेकिन मजबूत हो चुकी है. पिंजरे की सलाखों से हल्की सी ध्वनि आ रही है — जैसे कोई कहानी अपना आखिरी पन्ना खोल रही हो।माही( धीरे से, जैसे कोई राज खोल रही हो) —राजा अजहार. उसने मुझे पसंद किया था, लेकिन. मेरे भीतर एक और राज था. मैं उस राज का बोझ अपने साथ लेकर यहाँ कैद हुई।वेरिका( साँस रोकते हुए) —क्या मतलब है तुम्हारा, माही? यह पिंजरा केवल मोहब्बत का कैद है ना?माही( गहरी साँस लेकर) —नहीं.