सोने का पिंजरा - 26

अंधेरे की चुनौतीआसमान में गरजती बिजली और धरती का काँपना, दोनों मिलकर जैसे पूरे गाँव को दहला रहे थे.कबीर और शहवार आमने- सामने खडे थे उस“ असली अंधेरे” के, जिसकी परछाई अब हर कोने को निगल रही थी.अंधेरा गूंजती आवाज में बोला—कबीर, तू बहादुर है. तेरे पास तलवार है, तेरे पास हिम्मत है. लेकिन तेरे पास दिल भी है. और दिल. सबसे बडी कमजोरी है।कबीर ने तलवार कसकर पकडी और गरजा—कमजोरी नहीं. यही दिल मेरी ताकत है. मोहब्बत मेरी ढाल है, और इसी मोहब्बत से मैं तुझे हराऊँगा।शहवार की आँखों से आँसू बह निकले.कबीर. ये इम्तिहान आसान नहीं होगा. किताब