सोने का पिंजरा - 13

कबीर की आँखें अनायास ही छत की झूमर पर टिक गईं. चमचमाती रोशनी में भी उसे धुएँ और बारूद की गंध महसूस हो रही थी. उसकी उँगलियाँ कांटे पर जमी रह गईं. नाश्ते का स्वाद गले में अटक गया.समीर ने झिझकते हुए पूछा,साहब. सब ठीक तो है? आप बहुत गहरी सोच में खोए हुए लग रहे हैं।कबीर ने धीरे से सिर घुमाया. उसकी नजरें समीर की आँखों में गडीं, मानो वह उन आँखों के पीछे छुपा कोई राज पढ लेना चाहता हो.समीर, उस रात. फैक्ट्री में गोली चली थी. लेकिन आज तक किसी ने ये नहीं बताया कि वो गोली