“Chapter- 5+ : बड़े दिनों बाद “ सुबह का वक़्त है, कनिष्क अपने घर के बाहर रखी अपनी कार को साफ़ कर रहा है, वही बाइक पर सवार उसका दोस्त रिनेश वहां आकर रुकता है, रिनेश : “ क्या चल रहा है यार ? “कनिष्क :“ कुछ नहीं बस अपनी कार साफ़ कर रहा हु। “रिनेश :“ ये तो नई ही लग रही है, इसे क्या धोना। “कनिष्क :“ काफी जगह धूल जम गई है, मुझ ये पसंद नहीं। “रिनेश :“ तुमने आकाश के बारे में सुना ? “कनिष्क :“ नहीं… क्या हुआ आकाश को ? “रिनेश :“