"दरवाज़ा: वक़्त के उस पार" मेरी कल्पना और अनुभव का संगम है — एक ऐसी दुनिया जहाँ हर दरवाज़ा एक इम्तिहान है, और हर किरदार अपने डर से लड़ता है।मैं मानती हूँ कि कहानियाँ सिर्फ़ पढ़ी नहीं जातीं — वो महसूस की जाती हैं।और अगर एक पाठक मेरी कहानी पढ़कर थोड़ी देर के लिए अपनी दुनिया भूल जाए… तो मेरा लेखन सफल हो गया। कहानी का आख़िरी अध्याय — जहाँ परतें खुलेंगी, और वो दरवाज़ा आख़िर क्यों बना, इसका राज़ सामने आएगा।---*अध्याय 4: रहस्य का पर्दा*_“हर दरवाज़ा किसी मंज़िल की तरफ़ नहीं जाता… कुछ दरवाज़े सिर्फ़ सबक देने के लिए होते