दरवाज़ा: वक़्त के उस पारलेखिका: Naina Khanपाँच दोस्त, पाँच ज़िंदगियाँ, और एक पहाड़ी होटल जहाँ वक़्त ठहरता नहीं — बदल जाता है।सालों बाद मिले ये दोस्त एक रहस्यमयी दरवाज़े की ओर खिंचते चले जाते हैं, जो दिखता है सुकून का लेकिन ले जाता है इम्तिहान की दुनिया में। दरवाज़े के उस पार एक अलग ही दुनिया है — जहाँ हर ख़ूबसूरत चीज़ धीरे-धीरे डर में बदलती है, और हर क़दम एक नई सज़ा बन जाता है।जब एक दोस्त लौटती है, उसकी आँखों में पाँच महीने की लड़ाई की कहानी होती है — जबकि बाहर सिर्फ़ पाँच मिनट गुज़रे हैं। अब