*अदाकारा 44* रंजन दूल्हे के लिबासमें मंडप में बैठा है। और तभी विवाह समारोह संपन्न करा रहे पंडितजीने आवाज़ लगाई। "दुल्हन पधराइए सावधान।" और शर्मिला शर्माते हुए रंजन के बगल में रखे बाजोठ पर आकर बैठ गई।पंडितजी ने पहले उन दोनो के हाथों में हाथ मिला कर हस्त मिलाप करवाया।और फिर रंजन और शर्मिला ने अग्निकुंड के आसपास चार फेरे लिए। शर्मिला की बिदाई होने लगी। ओर लाउड स्पीकर से यह बिदाई गीत बजने लगा। डोली चढ़के दुल्हन ससुराल चली डोली चढ़के कैसी हसरतें बाबुलकी देखे गली डोली चढ़के। होटल सूबा इंटरनेशनल की