मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 24

---   एपिसोड 24 – “अधूरी लौ, अनाया की नई शुरुआत”   हवेली के दरवाज़े अब पूरी तरह खुल चुके थे। सालों से जो जगह बंद थी, आज वहाँ धूप बेझिझक उतर आई थी। अनाया ने पलटकर आख़िरी बार हवेली की ओर देखा — वो अब किसी डरावने अतीत की नहीं, बल्कि उसके अपने प्रेम की पहचान थी।   वो धीरे-धीरे हवेली की चौखट पार करती है। हर कदम के साथ उसे ऐसा लग रहा था जैसे कोई अदृश्य स्पर्श उसकी पीठ पर हल्के से हाथ फेर रहा हो — राज़ की मौजूदगी का एहसास।   “अब मैं अकेली