एपिसोड 23 – “काली रौशनी का वादा” सुबह की धूप अब हवेली की टूटी खिड़कियों से नहीं, बल्कि हर दीवार से छनकर आ रही थी — जैसे बरसों बाद हवेली ने चैन की सांस ली हो। अनाया सीढ़ियों से नीचे उतरी, उसके कदमों की आहट फर्श पर गूंज रही थी, पर अब वो आवाज़ डरावनी नहीं लग रही थी। वो हवेली अब किसी क़ब्रगाह की नहीं, बल्कि किसी अधूरे प्रेम की याद बन चुकी थी। पर उसके दिल में अब भी एक खालीपन था — राज़ की अनुपस्थिति का। उसने वही पुराना लॉकेट अपनी गर्दन से