में और मेरे अहसास - 136

सफाई  वो दोस्ती ही क्या जिसमें सफाई देनी पड़ेगी l सच साबित करने के लिए सौगंध लेनी पड़ेगी ll   वादा देकर मुकर जाने की कोशिश ना करना l नहि तो मोहब्बत की अदालत में पेशी पड़ेगी ll   महफिल में भीड़भाड़ में कमी महसूस न होगी l अक्कल ठिकाने आएंगी हुस्न अकेली पड़ेगी ll   जाना चाहो तो शोख़ से चलें जाओ न रोकेंगे l समझ में आएगा जब तन्हाइयाँ घेरी पड़ेगी ll   नई दुनिया बसाने जा रहे हो ख़ुदा हाफ़िज़ l अकेलेपन में चाँदनी रातों को झेली पड़ेगी ll १-१०-२०२५    सैयारा ईश की दरियादिली से सैयारा