किसके लिए लड़े - मोहनलाल?

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*********************** समर्पण *********************** यह पुस्तक समर्पित है मोहनलाल जी को -  जिन्होंने गाँव की ज़मीन की रक्षा के लिए अपना पैर खोया, अपनी जवानी के अनमोल दिन टूटे हुए शरीर के साथ बिताए, और उपचार के लिए पाई-पाई जोड़कर अपना खून-पसीना बहाया। फिर भी अंत में उन्हें यही सुनने को मिला -"आपको किसने कहा था कि हमारे लिए लड़ो?""किसने कहा था कि अपना पैर तुड़वाओ?"   ************************** किसके लिए लड़े - मोहनलाल? **************************   चित्तौड़गढ़ जिले के एक छोटे से गाँव में रहते हैं मोहनलाल - एक साधारण किसान, जिनकी ज़िंदगी संघर्ष, सेवा और आत्मसम्मान की मिसाल है। आज भी