शब्द उपनिषद — सृष्टि का मौन विज्ञान - 2

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अध्याय ४ — ब्रह्मचर्य : ऊर्जा की दिशा — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲     ---   प्रस्तावना   ब्रह्मचर्य शब्द सुनते ही अधिकतर लोग भयभीत हो जाते हैं — मानो यह किसी दमन का आदेश हो। पर ब्रह्मचर्य दमन नहीं, दिशा है। यह उस शक्ति का विज्ञान है जो सृष्टि बन सकती है या विनाश।   जब ऊर्जा अनियंत्रित होती है, तो वासना बनती है। जब वही ऊर्जा केंद्रित होती है, तो ध्यान बनती है। ब्रह्मचर्य उस केंद्र की कला है — जहाँ इच्छा की अग्नि चेतना की लौ में बदल जाती है।     ---