मेरे ख़्वाबों का देस

*मेरे ख़्वाबों का देस**लेखिका: नैना खान*_(एक अध्याय में विस्तृत हिंदी कथा, उर्दू साहित्य से प्रेरित)_---*अध्याय: समंदर की पुकार और मोहब्बत का पैग़ाम*कभी-कभी एक सपना सिर्फ़ सपना नहीं होता। वो एक दरवाज़ा होता है, जो हमें उस दुनिया में ले जाता है जहाँ हर चीज़ की एक रूह होती है—पानी की, हवा की, फूलों की, और यहाँ तक कि पत्थरों की भी। मेरी कहानी भी एक ऐसे ही सपने से शुरू होती है।मैंने एक रात एक सपना देखा। एक गहरा नीला समंदर था, जिसके किनारे एक छोटा सा गाँव बसा था। उस गाँव का नाम "नूरपुर" था। वहाँ के लोग सादगी