लोकतंत्र का विरोधाभास

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  लोकतंत्र का विरोधाभास  — जब चुनाव योग्यता से बड़ा हो जाता है लोकतंत्र का विचार सुंदर है —जनता अपने प्रतिनिधि चुनती है, ताकि वे उसकी आवाज़ बनें।पर आज यह चुनाव बुद्धि का नहीं,भीड़ की भावनाओं और जातीय गणनाओं का खेल बन गया है। सरकारी अधिकारी को छोटी-सी कुर्सी के लिए भी परीक्षा देनी पड़ती है —वह संविधान, कानून और प्रशासन की बारीकियाँ सीखता है।पर जिसे उन सब पर निर्णय लेना है —विधायक या सांसद —उसे कोई योग्यता नहीं चाहिए। यह विरोधाभास वही है जहाँ व्यवस्था टूटती है।जिसे शासन चलाने की समझ नहीं,वह आदेश देता है उस पर जिसने शासन पढ़ा है।और जब