जीरो

कोड नेम: "जीरो"देर रात की बात है। मनोविज्ञान विभाग की लैब में एक आदमी बिना रुके टाइप करता जा रहा था — उसका नाम था डॉ. अंशुल सेन। उम्र करीब 42 साल, प्रोफेसर ऑफ न्यूरोसाइंस, और गवर्नमेंट के लिए सीक्रेट प्रोजेक्ट्स पर काम करने वाला एकमात्र भारतीय वैज्ञानिक।प्रोजेक्ट का नाम था — "जीरो"।यह कोई आम रिसर्च नहीं थी। यह एक कृत्रिम चेतना (Artificial Consciousness) को विकसित करने की कोशिश थी, जो इंसान के जैसे सोच सके, महसूस कर सके, लेकिन किसी मशीन के अंदर हो। पर ये चेतना किसी सामान्य मशीन में नहीं डाली जा रही थी — ये