अतीत : एक साया

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रात के अँधेरे में दूर से दिखती हवेली किसी भूतिया चित्र की तरह लग रही थी। आसमान में काले बादल छाए थे और बिजली की कड़कड़ाहट उसके सन्नाटे को और भी डरावना बना रही थी। हवेली की ऊँची दीवारें और बंद खिड़कियाँ जैसे सदियों से कोई रहस्य अपने अंदर छुपाए बैठी थीं। अचानक हवेली के अंदर से एक दर्द भरी चीख गूँजी—इतनी तीखी कि पेड़ों पर बैठे पंछी तक सहम कर उड़ गए।मुंबई की भीड़-भाड़ से भरी जिंदगी में इस हवेली की खबरें टीवी चैनलों और अखबारों तक पहुँच चुकी थीं। लोग कहते थे कि वहाँ भूत है, कोई अदृश्य