अनकही मोहब्बत - 4

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"जहाँ लोग भगवान और खुदा के बीच फर्क करते हैं, वहाँ दिल की बात अक्सर गुनाह बन जाती है..."गाँव का नाम था मोहम्मदपुर — एक छोटा सा कस्बा, जहाँ मंदिर की घंटियाँ और अज़ान की आवाज़ एक साथ गूँजती तो थीं,पर दिलों के दरवाज़े अब भी बंद थे।गाँव के एक छोर पर था इमामबाड़ा जाफ़री, और दूसरे छोर पर दलित बस्ती।उसी बस्ती में रहता था राघव मेहतर — एक मेहनती, शांत और बेहद संवेदनशील युवक।दिन में सफाई का काम करता, और रात को पुरानी किताबों में शब्दों की दुनिया बुनता।राघव के पिता सफाईकर्मी थे।लोग उन्हें "मेहतर" कहकर पुकारते — एक