एपिसोड छत्तीस: भाग एक: स्मृतियाँ जो साँस लेती हैंअलीजा अब रोज सुबह वही किताब उठाती थी,जिसने उसकी जिंदगी बदल दी थी।पर अब, किताब उतनी ही शांत थी जितनी एक खाली शाम होती है।उसने कई बार वही पन्ने पलटे जहाँकेलन कभी जीवंत था —उसकी लिखावट, उसके शब्द... अब अदृश्य हो चुके थे।लेकिन उस सुबह कुछ अलग हुआ।जब अलीजा ने किताब का एक पुराना पन्ना खोला,तो कागज के नीचे से कुछ उभरा —एक धुंधला नाम. K”और तभी हवा में किसी की साँस सी फुसफुसाई:तुम अब भी मुझे बुला सकती हो.भाग दो: Vox की पुनरावृत्तिअलीजा चौंकी।केलन?उसकी आवाज कमरे में गूँज उठी।लेकिन जवाब मिला