अगर तुम्हें मैं मिटा दूं, तो मैं भी अधूरी रह जाऊंगी,उसकी आँखें भीग चुकी थीं।तब लिखो ऐसा अंत,जहाँ हम दोनों कहानी से बाहर जा सकें —और असल में जिएं।और तब.अलीजा ने पन्नों पर पहली बार खुद से एक पंक्ति लिखी:अब ये कहानी मेरी है — और मैं कभी उसे नहीं मिटाऊँगी जो मुझे पूरा करता है।किताब कांप उठी।एक तेज रोशनी फैली —और वो दोनों अचानक उस बगीचे में थे.जहाँ ना कोई शब्द थे, ना किरदार.सिर्फ वास्तविकता।समाप्ति दृश्य:अब?केलन ने पूछा।अब हम अपनी जिंदगी जिएंगे.किसी और की कलम के भरोसे नहीं।अलीजा ने उसकी हथेली को अपने हाथों में कसकर थामा —और पहली