तेरे बिन लम्हा

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तेरे बिन लम्हाकॉलेज की वो ठंडी सुबह थी, जब पहली बार मैंने उसे देखा था। लाइब्रेरी के कोने में बैठी, किताबों में खोई हुई। उसके चेहरे पर एक अजीब-सी मासूमियत थी और आँखों में गहराई। जैसे सारी कहानियाँ, सारे राज़ उसी की आँखों में छुपे हों।मैं बस उसे देखता रह गया। शायद यही वो लम्हा था जिसने मेरी ज़िंदगी बदल दी।---पहला सामनाउसका नाम रिया था। क्लास में सबसे शांत, लेकिन हर किसी की नज़र में सबसे अलग। दोस्त उसे चुपचाप, सीरियस टाइप की लड़की समझते थे, लेकिन मुझे उसमें कुछ और दिखता था।एक दिन अचानक ही कैंटीन में मेरी