सोने का पिंजरा - 6

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भीड के बीच अचानक सन्नाटा छा गया.कबीर के सामने वही लडकी फिर आ खडी हुई. इस बार उसके चेहरे पर गुस्सा भी था और सवाल भी.लडकी( तेज आवाज में)बस! बहुत हो गया तुम्हारा खेल. तुम आखिर हो कौन? भिखारी हो या कोई चालाक खिलाडी? नाम तो बताओ!कबीर ने हल्की मुस्कान दी और धीमे स्वर में बोला,कबीर:नाम? नाम से क्या होता है. असली मायने रखते हैं इरादे. और मेरे इरादे सबका सच सामने लाने के हैं।भीड में खुसर- फुसर होने लगी.उसी समय जारिन खान भी आगे आया. उसकी आँखों में शक और झुंझलाहट साफ थी.जारिन( तीखी आवाज में)कबीर. या जो भी